मुज़फ़्फ़रपुर के ‘सेवा संकल्प बालिका गृह’ में हुए बलात्कार (Girls Raped in Muzaffarpur bihar)


          मुज़फ़्फ़रपुर के ‘सेवा संकल्प बालिका गृह’ में हुए बलात्कार(Girls had been Raped in Muzaffarpur bihar)


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यह हंसता हुआ चेहरा हमारी नाकामियां को दर्शा रहा है कचोट रहा है सफेद कपड़ो में हैवान है यह इस राक्षस की करतूत सुनो
⁃ आंटी कहती थी ‘कीड़े की दवाई’ है और खाना में मिला कर देती थी.. दवा खाते ही नींद आने लगती थी.. सुबह को जब आँख खुलती थी तो हमारे कपड़े फ़र्श पर फेंके हुए दिखते थे.. हम नंगे होते थे बिस्तर पर..
⁃ ब्रजेश अंकल हम को अपने ऑफ़िस में ले जाते थे, वहाँ जा कर हमारे प्राइवेट पार्ट को इतने ज़ोर से स्क्रैच करते थे कि ख़ून निकल आता था..
⁃ खाना खिला कर हमें ब्रजेश अंकल के रूम में ज़बरदस्ती भेजा जाता था.. वहाँ रात को कोई मेहमान आने वाला होता था..
⁃ जब हम गन्दा काम (सेक्स) के लिए मना करते थे तो हमारे पेट पर आंटी लात से मारती थी..
⁃ हमें कई रोज़ भूखा रखा जाता था.. खाना माँगने पर गर्म तेल और गर्म पानी हम पर फेंक देती थी आंटी..
ऊपर लिखी बातें किसी कहानी का हिस्सा नहीं है.. ये शनिवार को मुज़फ़्फ़रपुर के ‘सेवा संकल्प बालिका गृह’ में हुए बलात्कार पीड़िता बच्चियों ने अपने टेस्टिमोनी में कहा है.. जिन बच्चियों ने बातें कहीं हैं उनकी उम्र सात से दस साल के बीच है..
वो बच्चियाँ जो माँ-बाप से बिछड़ गयी या जो अनाथ हैं, उन्हें आप एक सुरक्षित माहौल देने का वादा कर एक घर में ले आते हैं और फिर उनका बलात्कार.. छी !
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और बलात्कार भी कहाँ हो रहा था ?
एक ऐसे कैंपस में जिसके बग़ल से क्रांति के ‘प्रातःकमल’ अख़बार छप कर निकल रहा है..
बलात्कार कर कौन रहा था ?
‘प्रातः कमल’ का मालिक ब्रजेश ठाकुर..
कौन हैं ये ब्रजेश ठाकुर आइए आपको इनके बारे में थोड़ा डिटेल से बताते हैं..
आदरणीय ब्रजेश ठाकुर जी मालिक हैं, हिंदी अख़बार ‘प्रातःकमल’ उर्दू अख़बार ‘हालात-ए-बिहार’ और अंग्रेज़ी अख़बार ‘न्यूज़ नेक्स्ट’ के..
इसके अलावा वो समाज सेवा के लिए लड़कियों और महिलाओं के उत्थान के लिए पाँच ‘शेल्टर होम’ चलाते हैं..
जिसके लिए उन्हें बिहार सरकार से एक करोड़ रुपए की अनुदान राशि मिलती है..
जिसमें से मुज़फ़्फ़रपुर शॉर्ट स्टे होम के लिए उन्हें 40 लाख अलग से मिलता है..
इतना ही नहीं ठाकुर जी एक वृद्धाश्रम भी चलाते हैं जिसके लिए 15 लाख सरकार की तरफ़ से मिलता है और ‘सेल्फ़ हेल्प कम रहबिटेशन’ के नाम पर 32 लाख ऊपर से और..
अब आप ख़ुद ही अंदाज़ा लगाइए कि ऐसे रसूखदार आदमी के सामने किसी की भी हिम्मत है कि वो एक शब्द भी बोल सके..
बालिका गृह के आस-पास रहने वाले लोग बोलते है कि उन्हें बालिका गृह के अंदर से चीख़ने-रोने की आवाज़ें आती थी.. मगर ब्रजेश ठाकुर के रौब के आगे वो कुछ पूछने तक की हिमाक़त नहीं कर सकते थे..
ब्रजेश ठाकुर के पहुँच का अंदाज़ा इसी से लगा लीजिए कि अभी उसका ये बालिका गृह सील हुआ है और अभी ही ‘भिखारियों के शेल्टर होम’ के लिए सरकार की तरफ़ से उसे टेंडर मिला है..
जिसके तहत हर महीने उसे एक लाख रुपय मिलेंगे..
क्योंकि जिनको ब्रजेश ठाकुर जैसे दरिंदे के ख़िलाफ़ करवाई करनी चाहिए वो तो उसके गोद में जा बैठे हैं..
वैसे भी किसको पड़ी है उन अनाथ लड़कियों की.. देश में हर दिन हज़ारों बलात्कार होते हैं.. क्या हुआ जो 34 और लड़कियों का हो गया..
कम से कम वो ज़िंदा तो है.. नहीं !
इसके लिए ब्रजेश जी का सम्मान होना चाहिए.. आख़िर वो चाहते तो जान से मार भी देते मगर उदारता देखिए नहीं न मारा..
बस इसी आधार पर उन्हें और उनके साथ बाक़ी के नौ गुनहगार को भी बाइज़्ज़त बरी कर दिया जाएगा..
अपने देश का अंधा क़ानून है ही ऐसा.
दुनिया को ख़त्म हो जाना चाहिए बस अब तो !

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